कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है। भारत कोरोना संक्रमित देशों की सूची में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच ऑक्सफोर्ड के एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि इस साल के अंत तक पूरी ब्रिटिश आबादी को कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण किया सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ट्रायल लीडर सर जॉन बेल के अनुसार, COVID-19 वैक्सीन संभवतः शरद ऋतु तक उपलब्ध हो सकती है। अगर यह वैक्सीन सफल होती है तो 2020 के अंत तक कोरोना पर रोक लग जाएगी।
नए वैक्सीन ट्रायल की शुरुआत प्रोफेसर ने भविष्यवाणी की है कि अगर सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से चलता है, तो टीकाकरण सितंबर की शुरुआत में आरंभ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि, जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने जिस तरीके से क्लीनिकल ट्रयाल किए हैं , वह सामान्य तौर पर होने वैक्सीन के विकास के लिए अपनाए जाने वाले तरीके से काफी तेज और काफी कुशल थे। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका द्वारा सार्स-कोव-2(कोरोना वायरस) के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन AZD1222 तीन चरणों वाली क्लीनिकल प्रक्रिया के दूसरे चरण में है।
ब्राजील में जुलाई में टीके का परीक्षण किया जाएगा, जहां कुछ 2,000 ब्राज़ीलियाई लोग परीक्षण में भाग लेंगे।
सर जॉन बेल ने कहा कि, वैक्सीन व्यवसाय में बहुत सारे बुद्धिमान लोग हैं जिन्होंने टीके के लिए मानक विकास कार्यक्रम को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने स्वीकार किया है कि आप प्रक्रिया के बहुत सारे बिट्स को गति दे सकते हैं। आप नियामक परिणाम की प्रत्याशा में निर्माण कर सकते हैं। वह आपको कम से कम तीन महीने बचाता है। सर जॉन ने कहा कि इस प्रक्रिया में तेजी लाने के बहुत सारे तरीके हैं।
उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि भले ही ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन विफल हो जाए, लेकिन हमने टीकों के विकास के दृष्टिकोण को हमेशा के लिए बदल दिया है। अन्य सभी वैक्सीन निर्माता अब उसी का अनुसरण कर रहे हैं जिसे हमने जनवरी में करना शुरू किया था। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार हो जाता है, तो सितंबर के अंत तक टीकाकरण शुरू हो सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर इसी तरह के कार्यक्रम शुरू होने की संभावना है।
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